एंटेना (स्पर्श सूत्र) (Antenna): कीटो के सिर पर उपस्थित पतली और लम्बी संरचना जो आसपास के वातावरण को भांपने के काम आती है |
बहि:कंकाल (Exoskeleton): कीड़ो के शरीर के बाहर की ठोस सतह।
वक्ष (Thorax): सामान्य तौर पर मनुष्यों में गर्दन और कमर के बीच का हिस्सा और एक कीट के शरीर का मध्य भाग जहां पैर और पंख जुड़े होते हैं।
मधुमक्खियों की पांच विशेषताएं है जो अन्य कीटो के सामान है:
मधुमक्खी की शारीरिक रचना को जानने के लिए आप नीचे दिए गए चित्र के उदाहरण का उपयोग कर सकते हैं।
मधुमक्खी का बाहरी शरीर का दृश्य
सिर | ऊपरी भाग जहा आँखे, दिमाग व एंटेना जुड़ा होता है | | ||
जबड़ा | मुँह का मजबूत भाग जो शोषण-नलिका की रक्षा करता है | | ||
शोषण-नलिका | मुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है (चित्र में नहीं दिखाया गया )| | ||
सरल आँख (ओसेल्ली) | कीटों में पायी जाने वाली आँख जो गतिमान वस्तु को देखने में सहायक होती है | | ||
संयुक्त नेत्र (कम्पाउंड आय) | कीटों में पायी जाने वाली दूसरे प्रकार की आँख जो अनेको छोटे नेत्रांशकों (ओमेटिडिया ) से मिलकर बनती है | | ||
स्पर्श सूत्र (एंटीना) | सिर से जुड़ा हुआ एक रेशा जो हवा में उपस्थित गंध या हलचल को महसूस करने में सहायक होता है | | ||
वक्ष | शरीर के बीच का भाग जहाँ ६ पैर तथा पंख जुड़े होते है | | ||
उदर | शरीर का निचला हिस्सा जहाँ डंक स्थित होता है | | ||
डंक | मधुमक्खी के शरीर के नीचे स्थित एक तीक्ष्ण अंग जिसमे विष होता है | | ||
अग्र-पंख | सिर के पास स्थित पंख | | ||
पश्च-पंख | सिर से दूर स्थित पंख | | ||
अग्र-पाँव | सिर के पास वाले पैर | | ||
स्पर्श-सूत्र स्वच्छक | अग्र पाँव में स्थित कड़े बाल जो स्पर्शसूत्र की सफाई में सहायक होते है | | ||
पश्च-पाँव | सिर से दूर वाले पैर | श्रमिक मधुमक्खियां ये पैर पराग को ले जाने के लिए करते है | | ||
मध्य-पाँव | अग्रपाँव और पश्चपाँव के बीच के पैर | | ||
कॉक्सा | कीट के पैर का प्रथम खंड | | ||
ट्रोचेंटर | कीट के पैर का द्वितीय खंड | | ||
फीमर | कीट के पैर का तृतीय खंड | | ||
टिबिया | कीट के पैर का चतुर्थ खंड | टिबिया वह भाग है जो पराग को ढोने में सहायक होता है | | ||
मेटाटार्सस | कीट के पैर का पंचम खंड | इस भाग में पराग ढोने में सहायक विशेष औज़ार होते है | | ||
टार्सस | कीट के पैर का अंतिम खंड जो चलते समय जमीन के संपर्क में होता है | | ||
टार्सस पंजा | टार्सस में उपस्थित पंजे | |
संयुक्त नेत्र (कम्पाउंड आय) | कीटों में पायी जाने वाली दूसरे प्रकार की आँख जो अनेको छोटे नेत्रांशकों (ओमेटिडिया ) से मिलकर बनती है | |
सरल आँख (ओसेल्ली) | कीटों में पायी जाने वाली आँख जो गतिमान वस्तु को देखने में सहायक होती है | |
स्पर्श सूत्र (एंटीना) | सिर से जुड़ा हुआ एक रेशा जो हवा में उपस्थित गंध या हलचल को महसूस करने में सहायक होता है | |
लैब्रम | मुँह का वह अंग जो भोजन को पकड़ने का कार्य करता है| यह शोषण नलिका से जुड़ा होता है | |
जबड़ा | मुँह का मजबूत भाग जो शोषण-नलिका की रक्षा करता है |
मैक्सिला | मैंडिबल के नीचे का मुँह का भाग | |
बाह्य ओष्ठ स्पर्शक (लेबिअल पल्प) | मुँह का अंग जो भोजन को महसूस करने एवं स्वादन के कार्य आता है | |
शोषण-नलिका | मुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है | |
जिह्वा | कीट की केशयुक्त जीभ जो मकरंद को ढोने में सहायक होती है | |
1 | - | शोषण-नलिका | मुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है (चित्र में नहीं दिखाया गया )| |
2 | - | मैक्सिला | शोषण नलिका बाहरी परत जो ओष्ठ की रक्षा करती है | |
3 | - | मैंडिबल | वह जबड़े जो पराग को चबाने एवं छत्ते के निर्माण में होने वाले मोम का काम करने में सहायक होते है | यह मधुमक्खी के अन्य कई कार्यो में सहायक होते है | |
4 | - | ओष्ठ (लैब्रम ) | सिर में उपस्थ्तित एक गतिशील आवरक जो शोषण नलिका एवं भोजन नली का द्वार होता है | |
5 | - | भोजन नली | मधुमक्खी का मुँह | |
6 | - | ग्रसनी (फैरिंक्स) | यह पेशी जो भोजन को चूसने में सहायक होती है | |
7 | - | ग्रासनली (इसोफैगस) | वह नली जिसके द्वारा भोजन पेट एवं आद्यमध्यांत्र तक गमन करता है | |
8 | - | अधोग्रास ग्रंथि (हायपोफरंजियल ग्लैंड ) | वह ग्रंथि जो रॉयल जेली बनाने में सहायक सामग्री का उत्पादन करती है | |
9 | - | मस्तिष्क | मधुमक्खी में याददाश्त एवं समझने की उत्कृष्ट योग्यता होती है | मष्तिष्क पथप्रदर्शन, याददाश्त, संचार के अलावा शरीर के सामान्य कार्यो के नियंत्रण में सहायक होता है | |
10 | - | लार ग्रंथि | लार ग्रंथि भोजन में स्थित शर्करा को घोलने के कार्य, रॉयल जेली की सामग्री बनाने का कार्य, सफाई करने वाले तरल पदार्थ का उत्पादन एवं छत्ते की रासायनिक पहचान देने में योगदान देते है | |
11 | - | उड़ान की मॉसपेशी | वक्ष में उपस्थित पेशी जो उड़ने में सहायक शक्ति प्रदान करती है | इन्हीं मासपेशी के कारण मधुमक्खी के पंख १ सेकंड में २३० बार फड़फड़ा सकते है | |
12 | - | ह्रदय | स्तनधारियों से भिन्न, मधुमक्खिओ का ह्रदय बंद नहीं होता जिसका अर्थ है की रक्त शिराओ एवं वाहिनी में गमन नहीं करता, इसे 'ओपन हार्ट' कहते है | कीटो के रक्त को हीमोलिम्फ कहते है जो मुक्त रूप से शरीर के गुहाओं में बहता रहता है | इस रक्त को लाल रंग के इस ह्रदय द्वारा स्पंदित किया जाता है जिसके फलस्वरूप रक्त पूरे शरीर में पहुंच सके | |
13 | - | श्वासरन्ध्र (स्पिराकल्स) | कीटो में श्वसन तंत्र अनेको रिक्त नलिकाओं (जिन्हे वायु नाली या ट्रेकिआ कहते है) के समूह से मिलकर बनता है | इन नलिकाओं के द्वार को श्वासरंध्र कहते है | वायु नाली शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करती है | |
14 | - | वायुकोष (एयर सैक) | वायु को संगृहीत करके रखने वाले बड़े कोष | |
15 | - | आद्यामध्यान्त | कीटो का उदर एवं वह भाग जहा अधिकतर पाचन प्रक्रिया पूर्ण होती है | |
16 | - | ह्रदय छिद्र | ह्रदय में उपस्थित वह छिद्र जिसके द्वारा रक्त के स्पंदन को नियंत्रित किया जाता है | |
17 | - | लघ्वांत्र (ईलियम) | आद्यामध्यान्त एवं पश्चांत्र में बीच में उपस्थित खाद्य नलिका | सामान्यतः लघ्वांत्र में भोजन को पचने वाले जीवाणु पाए जाते है | |
18 | - | Malpighian Tubules | A set of small tubes that are used to absorb water, waste, and salts and other solutes from body fluid, and remove them from the body. |
19 | - | मलाशय | मलाशय बड़ी आंत का वह हिस्सा है जहाँ जल का अवशोषण होता है | |
20 | - | गुदा | मलद्वार जिससे मल को शरीर के बाहर निकला जाता है | मधुमक्खी मल विसर्जन उड़ान के दौरान करती है | |
21 | - | डंक | मधुमक्खी विषयुक्त डंक का प्रयोग आत्म-रक्षा के लिए करती है | श्रमिक मधुमक्खी का डंक कांटेदार शैली में जो त्वचा में फंसा रह जाता है एवं विष लगातार विशकोष से विपत्तिग्रस्त मानव या पशु में स्पंदित होता रहता है | रानी मक्खी का डंक लम्बा एवं कांटेदार शैली रहित होता है | नर मधुमक्खी (ड्रोन) में डंक नहीं होता | |
22 | - | डंक कवच | एक कठोर कवच जो डंक के आवरण के रूप में कार्य करता है | |
23 | - | डंक नलिका | वह खोखली नलिका जिसके द्वारा विष का गमन होता है | इसी नलिका के द्वारा रानी मधुमक्खी अंडे भी देती है | |
24 | - | विष कोष | विष का संग्रह जो डंक के द्वारा विष को बाहर भेजता है | |
25 | - | विष ग्रंथि | विष उत्पादन करने वाली ग्रंथि | |
26 | - | मोम ग्रंथि | श्रमिक मधुमक्खियां उद्गमन के १२ दिनों के पश्चात मोम स्राव प्रारम्भ कर देती है | तक़रीबन ६ दिन पश्चात यह ग्रंथि कार्य करना बंद कर देती है | रानी मक्खी लगातार अंडे देती रहती है एवं नयी किशोर श्रमिक मधुमक्खियां मोम का उत्पादन छत्ते के अंदर जारी रखती है | |
27 | - | उदरीय तंत्रिका रज्जु | मानव के मेरुदंड में उपस्थित तंत्रिका रज्जु के सामान यह संरचना अनेक तंत्रिका तंतुओ को मष्तिष्क से शरीर के अन्य भाग से जोड़ती है | |
28 | - | ग्रंथिलजठर (प्रोवेंट्रिक्युलस) | मधुमक्खी के पेट का प्रारंभिक भाग जो मकरंद एवं अन्य भोजन का नियंत्रण करता है | इसी के कारण मधुमक्खी मकरंद को पेट में बिना पचाये संगृहीत करके रखती है | |
29 | - | उदर (क्रॉप) | मकरंद का संग्रहण केंद्र जो अन्य पदार्थो को आपस में मिलने से रोकता है | |
30 | - | महाधमनी | मधुमक्खी की पीठ की तरफ स्थित रक्त की प्राथमिक धमनी जो रक्त को ह्रदय से शरीर के अन्य अंगो तक पहुँचती है | |
31 | - | ग्रासनली | क्रमांक ७ देखे | पाचन तंत्र का भाग जो मुँह को उदर से जोड़ती है | |
32 | - | उदरीय तंत्रिका रज्जु | क्रमांक २७ देखे | मानव के मेरुदंड में उपस्थित तंत्रिका रज्जु के सामान यह संरचना अनेक तंत्रिका तंतुओ को मष्तिष्क से शरीर के अन्य भाग से जोड़ती है | |
33 | - | जीव्हा | मधुमक्खी की जीभ के सामान सरंचना जो मकरंद को निगलने में सहायक होती है | एक स्ट्रा की तरह यह मैक्सिला के अंदर फिट रहती है | |
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