Honeybee story in Hindi

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एंटेना (स्पर्श सूत्र) (Antenna): कीटो के सिर पर उपस्थित पतली और लम्बी संरचना जो आसपास के वातावरण को भांपने के काम आती है |

बहि:कंकाल (Exoskeleton): कीड़ो के शरीर के बाहर की ठोस सतह।

वक्ष (Thorax): सामान्य तौर पर मनुष्यों में गर्दन और कमर के बीच का हिस्सा और एक कीट के शरीर का मध्य भाग जहां पैर और पंख जुड़े होते हैं।

मधुमक्खी के शरीर की रचना

मधुमक्खियों की पांच विशेषताएं है जो अन्य कीटो के सामान है:

  • मधुमक्खी में बाहरी कठोर सतह होती है जिसे बहि:कंकाल कहते है |
  • मधुमक्खी के शरीर में तीन मुख्य अंग होते है : सिर, वक्ष एवं उदर |
  • मधुमक्खी के सिर से दो ऐन्टेना जुड़े होते है |
  • मधुमक्खी के तीन जोड़ी पैर होते है जो चलने में सहायता करते है |
  • मधुमक्खी के दो जोड़ी पंख होते है |

मधुमक्खी की शारीरिक रचना को जानने के लिए आप नीचे दिए गए चित्र के उदाहरण का उपयोग कर सकते हैं।

शहद मधुमक्खी शरीर रचना विज्ञान

मधुमक्खी के बाहरी शारीरिक रचना का चित्रण। चित्र को बड़ा करने के लिए क्लिक करें।



मधुमक्खी का बाहरी शरीर का दृश्य

सिरऊपरी भाग जहा आँखे, दिमाग व एंटेना जुड़ा होता है |
जबड़ामुँह का मजबूत भाग जो शोषण-नलिका की रक्षा करता है |
शोषण-नलिकामुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है (चित्र में नहीं दिखाया गया )|
सरल आँख (ओसेल्ली)कीटों में पायी जाने वाली आँख जो गतिमान वस्तु को देखने में सहायक होती है |
संयुक्त नेत्र (कम्पाउंड आय)कीटों में पायी जाने वाली दूसरे प्रकार की आँख जो अनेको छोटे नेत्रांशकों (ओमेटिडिया ) से मिलकर बनती है |
स्पर्श सूत्र (एंटीना)सिर से जुड़ा हुआ एक रेशा जो हवा में उपस्थित गंध या हलचल को महसूस करने में सहायक होता है |
वक्षशरीर के बीच का भाग जहाँ ६ पैर तथा पंख जुड़े होते है |
उदरशरीर का निचला हिस्सा जहाँ डंक स्थित होता है |
डंकमधुमक्खी के शरीर के नीचे स्थित एक तीक्ष्ण अंग जिसमे विष होता है |
अग्र-पंखसिर के पास स्थित पंख |
पश्च-पंखसिर  से दूर स्थित पंख |
अग्र-पाँवसिर के पास वाले पैर |
स्पर्श-सूत्र स्वच्छकअग्र पाँव में स्थित कड़े बाल जो स्पर्शसूत्र की सफाई में सहायक होते है |
पश्च-पाँव

सिर से दूर वाले पैर | श्रमिक मधुमक्खियां ये पैर पराग को ले जाने के लिए करते है | 

मध्य-पाँवअग्रपाँव और पश्चपाँव  के बीच के पैर |
कॉक्साकीट के पैर का प्रथम खंड |
ट्रोचेंटरकीट के पैर का द्वितीय खंड |
फीमरकीट के पैर का तृतीय खंड |
टिबियाकीट के पैर  का चतुर्थ खंड | टिबिया वह भाग है जो पराग को ढोने  में सहायक होता है |
मेटाटार्ससकीट के पैर का पंचम खंड | इस भाग में पराग ढोने में सहायक विशेष औज़ार होते है |
टार्ससकीट के पैर  का अंतिम खंड जो चलते समय जमीन के संपर्क में होता है |
टार्सस पंजा टार्सस में उपस्थित पंजे |
Bee head anatomy

मधुमक्खीके सिरकी शारीरिकरचनाकाचित्रण।चित्रको बड़ाकरनेकेलिएक्लिककरें।

संयुक्त नेत्र (कम्पाउंड आय)कीटों में पायी जाने वाली दूसरे प्रकार की आँख जो अनेको छोटे नेत्रांशकों (ओमेटिडिया ) से मिलकर बनती है |
सरल आँख (ओसेल्ली)कीटों में पायी जाने वाली आँख जो गतिमान वस्तु को देखने में सहायक होती है |
स्पर्श सूत्र (एंटीना)सिर से जुड़ा हुआ एक रेशा जो हवा में उपस्थित गंध या हलचल को महसूस करने में सहायक होता है |
लैब्रममुँह का वह अंग जो भोजन को पकड़ने का कार्य करता है| यह शोषण नलिका से जुड़ा होता है |
जबड़ामुँह का मजबूत भाग जो शोषण-नलिका की रक्षा करता है 
मैक्सिला

मैंडिबल के नीचे का मुँह का भाग |

बाह्य ओष्ठ स्पर्शक (लेबिअल पल्प)मुँह का अंग जो भोजन को महसूस करने एवं स्वादन  के कार्य आता है |
शोषण-नलिकामुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है |
जिह्वाकीट की केशयुक्त जीभ जो मकरंद  को ढोने में सहायक होती है |
Honey bee internal anatomy

मधुमक्खी के आंतरिक शारीरिक रचना का चित्रण। चित्र: वाल्के (विकिमीडिआ के माध्यम से)।

मधुमक्खी के आंतरिक शरीर का दृश्य

1-शोषण-नलिकामुँह की नली जो तरल पदार्थ के शोषण में सहायक होती है (चित्र में नहीं दिखाया गया )|
2-मैक्सिलाशोषण नलिका बाहरी परत जो ओष्ठ की रक्षा करती है |
3-मैंडिबलवह जबड़े जो पराग को चबाने एवं छत्ते के निर्माण में होने वाले मोम का काम करने में सहायक होते है | यह मधुमक्खी के अन्य कई कार्यो में सहायक होते है |
4-ओष्ठ (लैब्रम )सिर में उपस्थ्तित एक गतिशील आवरक जो शोषण नलिका एवं भोजन नली का द्वार होता है |
5-भोजन नलीमधुमक्खी का मुँह |
6-ग्रसनी (फैरिंक्स)यह पेशी जो भोजन को चूसने में सहायक होती है |
7-ग्रासनली (इसोफैगस)वह नली जिसके द्वारा भोजन पेट एवं आद्यमध्यांत्र तक गमन करता है |
8-अधोग्रास ग्रंथि (हायपोफरंजियल ग्लैंड )वह ग्रंथि जो रॉयल जेली बनाने में सहायक सामग्री का उत्पादन करती है |
9-मस्तिष्कमधुमक्खी में याददाश्त एवं समझने की उत्कृष्ट योग्यता होती है | मष्तिष्क पथप्रदर्शन, याददाश्त, संचार के अलावा शरीर के सामान्य कार्यो के  नियंत्रण में सहायक होता है | 
10-लार ग्रंथिलार ग्रंथि भोजन में स्थित शर्करा को घोलने के कार्य, रॉयल जेली की सामग्री बनाने का कार्य, सफाई करने वाले तरल पदार्थ का उत्पादन एवं छत्ते की रासायनिक पहचान देने में योगदान देते है |
11-उड़ान की मॉसपेशीवक्ष में उपस्थित पेशी जो उड़ने में सहायक शक्ति प्रदान करती है | इन्हीं मासपेशी के कारण मधुमक्खी के पंख १ सेकंड में २३० बार फड़फड़ा सकते है |
12-ह्रदयस्तनधारियों से भिन्न, मधुमक्खिओ का ह्रदय बंद नहीं होता जिसका अर्थ है की रक्त शिराओ एवं वाहिनी में गमन नहीं करता, इसे 'ओपन हार्ट' कहते है | कीटो के रक्त को हीमोलिम्फ कहते है जो मुक्त रूप से शरीर के गुहाओं में बहता रहता है | इस रक्त को लाल रंग के  इस ह्रदय द्वारा स्पंदित किया जाता है जिसके फलस्वरूप रक्त पूरे शरीर में पहुंच सके |
13-श्वासरन्ध्र (स्पिराकल्स)कीटो में श्वसन तंत्र अनेको रिक्त नलिकाओं (जिन्हे वायु नाली या ट्रेकिआ कहते है) के समूह से मिलकर बनता है | इन नलिकाओं के द्वार को श्वासरंध्र कहते है | वायु नाली शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करती है |
14-वायुकोष (एयर सैक)वायु को संगृहीत करके रखने वाले बड़े कोष |
15-आद्यामध्यान्तकीटो का उदर एवं वह भाग जहा अधिकतर पाचन प्रक्रिया पूर्ण होती है |
16-ह्रदय छिद्रह्रदय में उपस्थित वह छिद्र जिसके द्वारा रक्त के स्पंदन को नियंत्रित किया जाता है |
17-लघ्वांत्र (ईलियम)आद्यामध्यान्त एवं पश्चांत्र में बीच में उपस्थित खाद्य नलिका | सामान्यतः लघ्वांत्र में भोजन को पचने वाले जीवाणु पाए जाते है |
18-Malpighian TubulesA set of small tubes that are used to absorb water, waste, and salts and other solutes from body fluid, and remove them from the body.
19-मलाशयमलाशय बड़ी आंत का वह हिस्सा है जहाँ जल का अवशोषण होता है |
20-गुदामलद्वार जिससे मल को शरीर के बाहर निकला जाता है | मधुमक्खी मल विसर्जन उड़ान के दौरान करती है |
21-डंकमधुमक्खी विषयुक्त डंक  का प्रयोग आत्म-रक्षा के लिए करती है | श्रमिक मधुमक्खी का डंक कांटेदार शैली में जो त्वचा में फंसा रह जाता है एवं विष लगातार विशकोष से विपत्तिग्रस्त मानव  या पशु में स्पंदित होता रहता है | रानी मक्खी का डंक लम्बा एवं कांटेदार शैली रहित होता है | नर मधुमक्खी (ड्रोन) में डंक नहीं होता |
22-डंक कवचएक कठोर कवच जो डंक के आवरण के रूप में कार्य करता है |
23-डंक नलिकावह खोखली नलिका जिसके द्वारा विष का गमन होता है | इसी नलिका के द्वारा रानी मधुमक्खी अंडे भी देती है |
24-विष कोषविष का संग्रह जो डंक के द्वारा विष को बाहर भेजता है |
25-विष ग्रंथिविष उत्पादन करने वाली ग्रंथि |
26-मोम ग्रंथिश्रमिक मधुमक्खियां उद्गमन के १२ दिनों के पश्चात मोम स्राव प्रारम्भ कर देती है | तक़रीबन ६ दिन पश्चात यह ग्रंथि कार्य करना बंद कर देती है | रानी मक्खी लगातार अंडे देती रहती है एवं नयी किशोर श्रमिक मधुमक्खियां मोम  का उत्पादन छत्ते के अंदर जारी रखती है |
27-उदरीय तंत्रिका रज्जुमानव के मेरुदंड में उपस्थित तंत्रिका रज्जु के सामान यह संरचना अनेक तंत्रिका तंतुओ को मष्तिष्क से शरीर के अन्य भाग से जोड़ती है |
28-ग्रंथिलजठर (प्रोवेंट्रिक्युलस)मधुमक्खी के पेट का प्रारंभिक भाग जो मकरंद एवं अन्य भोजन का नियंत्रण करता है | इसी के कारण मधुमक्खी मकरंद को पेट में बिना पचाये संगृहीत करके रखती है |
29-

उदर (क्रॉप)

मकरंद का संग्रहण केंद्र जो अन्य पदार्थो को आपस में मिलने से रोकता है | 

30-महाधमनीमधुमक्खी की पीठ की तरफ स्थित रक्त की प्राथमिक धमनी जो रक्त को ह्रदय से शरीर के अन्य अंगो तक पहुँचती है |
31-ग्रासनलीक्रमांक ७ देखे |  पाचन तंत्र का भाग जो मुँह को उदर से जोड़ती  है |
32-उदरीय तंत्रिका रज्जुक्रमांक २७ देखे | मानव के मेरुदंड में उपस्थित तंत्रिका रज्जु के सामान यह संरचना अनेक तंत्रिका तंतुओ को मष्तिष्क से शरीर के अन्य भाग से जोड़ती है |
33-जीव्हामधुमक्खी की जीभ के सामान सरंचना जो मकरंद को निगलने में सहायक होती है | एक स्ट्रा की तरह यह मैक्सिला के अंदर फिट रहती है |

पर और अधिक पढ़ें: मधुमक्खी कड़ी

मधु मक्खी
मधुमक्खी की आंतरिक शरीर रचना उनके कार्यो के अनुकूल ही होती है जिससे वह भोजन को ढूंढ़ने का कार्य, पराग व् मकरंद को जमा करने का कार्य, और उड़ने का कार्य करती है |

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